यहाँ हैदराबाद में मेरे घर
के नज़दीक एक वृद्ध व्यक्ति नारियल पानी बेचते हैं...बहुत ही साधारण सा ठेला
है...नारियलों की संख्या भी कोई बहुत ज्यादा नहीं रहती| कहने का मतलब यह है कि
जनाब की आमदनी कोई बहुत ज्यादा नहीं है| कुछ हफ्ते पहले मै अपने दो दोस्तों के साथ
उनके ठेले पर नारियल पानी पीने पहुंचा...उन्होंने तीन के बजाये चार नारियल दे दिए...मैंने
कहा कि हमने केवल तीन ही मांगे थे...तो उन्होंने कहा ले लो....गौर करने कि बात ये
है कि वो एक्स्ट्रा नारियल उन्होंने मुझे दिया...हमें लगा या तो अंकल मूड में हैं
या ये कोई जनरल ऑफर है...तीन पे एक फ्री जैसा कुछ| इसके बाद अगले हफ्ते मै फिर गया
और फिर से अंकल ने मुझे एक एक्स्ट्रा नारियल दे दिया...अबकि बार मैंने दोनों
नारियल के पैसे देने का प्रयास किया...किन्तु उन्होंने उस एक्स्ट्रा नारियल का
पैसा नहीं लिया...मैंने पूछा ये फ्री का नारियल किसलिए...तो सिर्फ़ मुस्करा दिए...कुछ
बोले नहीं...घर वापस आ कर मैंने दोस्तों से ये बात साझा की तो उन परम ज्ञानी
पुरुषों ने बॉलीवुड की थियोरी दे डाली..अबे तुझमे उनको अपना कोई खोया हुआ बेटा
दिखता होगा..ये सिलसिला यहाँ नहीं रुका...अगले हफ्ते तीसरी बार मुझे एक्स्ट्रा
फ्री का नारियल मिला...तब मुझे भी इस थियोरी पर यकीन होने लगा...मैंने तुरंत
पूछा...क्यों अंकल..फ्री में क्यों...लेकिन फिर उन्होंने जवाब नहीं दिया...और पैसे
देने पर भी नहीं लिए...मै सोचने लगा की दूसरों के लिए कुछ भी करने के लिए दिल बड़ा
होना चाहिए...पैसे कम ज्यादा होने से फर्क नहीं पड़ता...बात सच ही है...वरना क्यों
ये बूढा इंसान मुझे मुफ्त का नारियल पानी पिला रहा है...ये मुमकिन है कि मेरे
हफ्ते भर कि कमाई इसकी मासिक आमदनी से भी ज्यादा होगी...पर फिर भी ये इंसान स्नेह
से मुझे फ्री का नारियल दे देता है.....इससे उसे खुशी मिलती होगी...जो वाकई उसे पैसे
से ज्यादा कीमती दिखाई पड़ती है...हम तो हज़ारो-लाखों कमा कर भी दूसरों के लिए कुछ
नहीं करते...हिंदू धर्म में दानवीर कर्ण का पात्र मशहूर है...इस्लाम में ज़कात (चैरिटी)
करना अनिवार्य है...पर मदद करते वक्त सबकी मजबूरियाँ निकल आती हैं...जिस वजह से ये
काम नहीं हो पाता...सोचता हूँ उस नारियल पानी वाले की भी कोई मजबूरी रही होगी...या
परमात्मा ने उसे इतना किस्मत वाला बनाया है कि उसकी कोई मजबूरी ही नहीं...खैर, उस
वृद्ध को देखकर मुझे ज़बरदस्त प्रेरणा मिली...कल ही मैंने उन्हें दो फाइव-स्टार की
चोक्लेट्स दी...जिसे उन्होंने खुशी खुशी स्वीकर कर लिया...(हाँ मुझे पता है ये
मूर्खतापूर्ण गिफ्ट था...पर गिफ्ट देने के मामले में मैं हूँ ही मूर्ख)...अब जीवन
पर्यंत मै इस नारियल पानी वाले अमीर आदमी से प्रेरणा लेता रहूँगा...हो सके तो आप
भी ले लीजिए...किसी दूसरे के लिए कुछ करने से जो आनंद मिलता है...उसका कोई सानी
नहीं|
वो व्यक्ति , इंसान के रूप में खुदा ही था जिसने तुझे ये पाठ पढाया | अछा है कुछ तो सीख मिली .. ये बिलकुल सच है किसी और के लिए कुछ करके ही ज्यादा सुकून मिलती है , हम व्यर्थ ही सिर्फ अपने बारे में सोच सोच कर परेशान और दुखी रहते हैं :) :)
ReplyDeleteapke is blog ne humare man ko chu liya :)
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