Tuesday 31 March 2015

जस्टिस काटजू का साम्प्रदायिक एंगल

कल-परसों मैंने पढ़ा कि काटजू साहब कुछ ऐसे विचार रखते हैं कि गीता की कुछ पंक्तियाँ स्कूल में पढाने से विद्यालय साम्प्रदायिक हो जायेगा| गांधीजी के रामराज्य, गौ-हत्या इत्यादि को ले कर विचार व्यक्त किये जाने पर भी उनकी यही टिपण्णी है| कहने का मतलब यह है, कि जहां कहीं धर्म से सम्बंधित कोई भी वाक्य, शब्द या रचना आपके निकट आई, तो आप दूषित हो जायेंगे (कम्युनल हो जायेंगे)....इन पैमानों पर खरी उतरने वाली एक संस्था है इस देश में| बहुत सम्मान है इस संस्था का..आइये इसके साम्प्रदायिक एंगल को देखते हैं..
भारतीय थल सेना के कुछ रेजिमेंटो के युद्ध-घोष पर ज़रा नज़र डालें..
१. गोरखा राइफल्स ---- जय महाकाली, आयो गोरखाली
२. गढ़वाल राइफल्स---- बद्री विशाल लाल कि जय (भगवान बद्री नाथ के लिए)
३. बिहार रेजिमेंट---- जय बजरंग बली
४. पंजाब एवं सिख रेजिमेंट ---- जो बोले सो निहाल, सतश्री-अकाल ; ज्वाला माता की जय
५. मराठा इन्फंट्री --- छत्रपति शिवाजी महाराज की जय
६. राजपुताना राइफल्स --- राजा रामचंद्र की जय
७. राजपूत रेजिमेंट --- बोल बजरंग बली की जय
८. डोगरा रेजिमेंट ---- बोल ज्वाला माता की जय
९. कुमाओं रेजिमेंट --- कलिका माता की जय, जय दुर्गे नागा
न्यायमूर्ति काटजू की परिभाषा से भारतीय थल सेना देश की सबसे ज्यादा साम्प्रदायिक संस्था है|
--हरी ओम!

No comments:

Post a Comment