ये क्रान्ति रक्त-रंजित नहीं है| ये क्रान्ति भारत की गांधीवादी संस्कृति का परिचायक है| ये क्रान्ति माओ के "शक्ति बन्दूक की नली से बहती है" (power flows through the barrel of a gun) जैसे सिद्धांतों पर करारा प्रहार है| अब परम्परागत राजनेताओं के "बदलना है तो चुनाव लड़ के दिखाओ" जैसी परम्परागत चुनौतियाँ निराशा के साथ नहीं देखी जाएँगी| हमने यौवन में यह क्रान्ति देखी यह हमारा सौभाग्य है| हम फ्रेंच क्रान्ति नहीं देख पाए, रुसी क्रान्ति भी नहीं देख पाए, विश्व युद्ध भी नहीं| पर शायद ये क्रान्ति उनसे बेहतर है| ये क्रान्ति रक्त-रंजित नहीं है|
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