Monday 16 February 2015

दिल्ली चुनावों के विश्लेषण का विश्लेषण

दिल्ली चुनाव के बाद सब ज्ञानी लोग अपना अपना निष्कर्ष निकालने में जुट गए| लोक सभा चुनावों के बाद जिनकी कुर्सी पर आग लग गयी थी, उनको बड़ी राहत मिली| जिसके फलस्वरूप एक और बार उन्होंने अपनी मूर्खता का परिचय दिया| कल के "दि हिंदू" का कार्टून इस घटना को बहुत ही उचित रूप से दर्शाता है, जिसमे हाथी रुपी दिल्ली चुनाव को पहचानने में सब अपना अपना हिसाब लगा रहे हैं| पर मैं कुछ विशेष घटनाओं की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ:
१. अभय दुबे (NDTV पर): अरविन्द केजरीवाल जीत के बाद अपने परिवार को साथ लाए जबकि मोदी सिर्फ़ अपने लौह पुरुष वाली छवि की ही चिंता करते हैं| भारतीय समाज अब ये सब नहीं पसंद करता|
प्रत्योत्तर: बात सही है दुबे जी| लोक सभा चुनाव के बाद मोदी जी ने जो अपनी माता के चरण छूए थे, वो किसी परिवारवादी पुरुष की निशानी थोड़ी है|
२. सिद्धार्थ वरदराजन और कोई तो भी एक महिला (ZEE पर): त्रिलोकपुरी में दंगे करवाकर हारने के बाद आपको कैसा लग रहा है?
प्रत्योत्तर: जी बहुत अच्छा लग रहा है| प्लान तो महाराष्ट्र, झारखण्ड, हरयाणा में भी यही था, पर तय्यारी करते करते चुनाव ही जीत गए|
३. लगभग सभी (विशेषकर AAPtards): मोदी जी को अब समझ लेना चाहिए कि सिर्फ़ बातों से कुछ नहीं होता| जनता को अब काम चाहिए| वरना यही हश्र होगा|
प्रत्योत्तर: यदि आप थोडा कष्ट उठा कर पता करते कि केन्द्र सरकार ने क्या किया है, तो ऐसी मूर्खतापूर्ण बातें ना करते| मैंने कुछ समय पहले कोरा में यह उत्तर लिखा था| आपकी सेवा में,
http://www.quora.com/What-has-Modi-done-since-becoming-PM

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